इंदौर | मध्यप्रदेश के गठन के समय 1996 में इंदौर को MP की राजधानी बनाने की चर्चा जोरो पर थी परन्तु नेहरू जी तथा डॉ शंकर दयाल शर्मा भोपाल का मन बना चुके थे ! दरअसल मिनी मुंबई के नाम से जाने जाना वाला इंदौर भी राजधानी की दौड़ में शामिल था ! परन्तु परिस्थितिया कुछ ऐसी थी कि इंदौर और ग्वालियर दोनों को छोड़ कर भोपाल को राजधानी बनाना पढ़ा |
राज्य के गठन के साथ हुआ था इंदौर को राजधानी बनाने का फैसला
कारण जिनकी वजह से इंदौर राजधानी नहीं बन सका
कारण 1. इंदौर स्टेट का केंद्र सरकार में छ महीने बाद विलय हुआ, इसलिए यह राजधानी बनते बनते रह गया | कारण 2. इंदौर पर एक मत में फैसला हुआ था ! लेकिन नेहरू जी और डॉ. शर्मा भोपाल का मन बना चुके थे | |
आजादी मिले के बाद पाकिस्तान तथा भारत देश को अलग अलग किया गया | स्वतंत्र एक्ट के तहत केंद्र सर्कार ने 562 रियासतो के विलय की करवाई शुरू की | सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सबको इसका सन्देश भेज दिया था | मध्यभारत बना तो ग्वालियर ने “स्टेट का केंद्र में विलय पर” हस्ताक्षर कर दिए परन्तु इंदौर ने नहीं किये | इंदौर द्वारा यह काम 6 महीने बाद किया गया |
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1996 तक इंदौर मध्य भारत की राजधानी था | यशवंत राव होल्कर और जीवाजी राव सिंधिया के बिच सहमति से 1950 से 1996 तक छः महीने में इंदौर ग्वालियर राजधानी बनते थे | इस भींच कांग्रेस का प्रादेशिक अधिवेसन इंदौर में हुआ | सभी नेताओ फैसला लिया की इंदौर को राजधानी बनाया जाये | प्रस्ताव पारित कर यह जानकारी जब दिल्ली पहुंची तो नेहरू जी और डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने इसे दरकिनार कर दिया क्योकि वह पहले ही भोपाल का मन बना चुके थे |
भौगोलिक स्थिति के हिसाब से बीच में था भोपाल
1996 तक छः महीने में इंदौर, ग्वालियर राजधानी बनते थे | प्रदेश का गठन हुआ तो इंदौर ने पक्ष रखा ! परन्तु भौगोलिक स्थिति के हिसाब से भोपाल अधिक बीच में था ! इंदौर के दावे के कारण ग्वालियर को भी राजधानी नहीं बनाया गया |